रात की तन्हाइ का आनन्द
रात की तन्हाइ में
किताबें कुछ ज़्यादा कह जाती हैं
कवितायें कुछ ज़्यादा
गुनगुनाती हैं,
गुदगुदाती हैं
कहानियां कुछ अपनी बीती
याद दिलाती हैं
अहसास कराती हैं
कुछ ग़लतियों की
जो जीवन बदल
सकती थीं
दर्शन सहज सुगम बन
कुछ राह बदल देता है
सब ओर के सन्नाटे के आलम में
दीवारें, छत, एवं फ़र्स पास
और आ जातीं हैं
बहुत कुछ दर्शाते हैं
अनजानी लकीरों से
परिचित चेहरों में बदल बदल
कुछ याद दिला
जातें हैं
छः दसकों से ज़्यादा का है
यह सिलसिला
हर दिन अभी भी रहता है
इन्तज़ार
रात की तन्हाइ का
कुछ नयी राह पाने का
चलता रहे यह सिलसिला ़़़………