Monthly Archives: June 2020

बृहदारण्यकोपनिषद् और तत्कालीन समाज में नारी

बृहदारण्यकोपनिषद् और तत्कालीन समाज में नारी: आजकल जब इस उपनिषद् को पढ़ने समझने की कोशिश कर रहा हूँ तो एक सांसारिक व्यक्ति होने के चलते उस समय के कुछ सामाजिक पक्षों की ओर सोचने के लिये बाध्य होना पड़ता है. … Continue reading

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उपनिषद – आज भी उपयोगी

उपनिषदों की सार्थकता: बृहदारण्यकोपनिषद् में अध्याय ५ के दूसरे ब्राह्मण में एक छोटी कहानी है. तीन शब्दों में हर प्रकृति के व्यक्तियों के लिये आदर्श आचरण का ज्ञान भरा, जो आज भी सार्थक लगता है. प्रजापति के तीन – देव, … Continue reading

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हिन्दुओं में धर्म से बढ़ती दूरी

हिन्दुओं में धर्म से बढ़ती दूरीपता नहीं क्यों लगता है कि अपने को शिक्षित माननेवाले लोगों में एक होड़ मची है अभिजात वर्ग का कहाने की, नास्तिक बनकर, पुरानी सब मान्यताओं को बिना कारण समझे,गंवारपन या पुरानपंथी होने की संज्ञा … Continue reading

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