हे बिरोधी दोस्तों
किस का बिरोध है मुझसे
अगर है भी तो मुझे कहो
क्यों बनते हो देश का बिरोधी
रोकते हो उस रथ को
जो आज निकल सकता है
सबसे आगे
देखों
करोडों की अाकांक्षाएें
पहियों में समाई हुयी,
कोटि और गति देने
का साहस लिये कंधों में,
कोटि कोटि और हैं
ब्यस्त साथ देने को
यही था मत उनका
न बरगलाओ, न बहकाओ
साथ आओ अपनी कहानी बनायें
अब दुनिया देखे
हम बहुत उन्हें देख लिये
आओ अपने बल पर
अपना सूरज चाँद बनायें……
“भव्य मन्दिर बन रहा है
श्वेद का जल दो….