देश एक संक्रमण काल में

देश एक संक्रमण काल में
पूरा शीतकालीन संसद का अधिवेशन में प्रदशित दृश्य मुझे अपने कार्य काल में हिन्दुस्तान मोटर्स में यूनियन के नेताओं के मनमानी हुड़दंगों की याद दिलाता है। जब इच्छा हो काम बन्द कर दे। संसद में देश की समस्याओं पर बहस क्यों नहीं होती? विपक्षी दल देश की समस्याओं पर बहस क्यों नहीं करना चाहता? क्यों विपक्ष कोई भी उल्टा सीधा माँग रख कर हल्ला क्यों करने लगता है? यह क्या यूनियन और मालिक वाले ढंग से चलेगा । देश के लिये यह सब अशोभनीय है। देश के सीमा पार के दुश्मन देश खुश हो रहे होंगे। कभी कभी इन सब बारदातों में उन्हीं विदेशी ताकतों का हाथ दिखने लगता है। एक प्रश्न यह भी आता है कि क्यों सदन को न चलने देनेवाले लोगों की तनख़्वाह कटनी चाहिये? अजीब लगता है हम पुराने लोगों को….समाचार पत्र लेना या टीवी के न्यूज़ चैनेल देखना तो बन्द कर दिया हूँ। लोगों की इन पर किये जानेवाली बातों भी सुनना बन्द कर दिया जाये। अगर संसद ही मर्यादाहीन आचरण करे, तो समाज के कुछ राक्षसी प्रवृति के लोग जो आचरण कर रहें है, उसे कौन रोकेगा। सभी धर्म के ठेकेदार तो शहरों के मालदारों से पैसे कमाने व्यस्त हैं, गाँव में हिन्दू को अपढ गंवार तथाकथित ब्राहमण जाति के लोगों पर छोड़ दिया गया है। बड़े बड़े या शादी ब्याह, मृत्यु आदि अवसर ही इन पंडितों की कमाई का साधन है। कौन लोगों के आचरण को बनायेगा। ऊपर से उनके प्रतिनिधि अगर ऐसे हों।


बड़ी संख्या में सांसदों को निलम्बित करना यद्पि ठीक नहीं है, विपक्षियों के कार्य तो वोट बैंक को आकर्षित करने के लिये किया जा रहा है। जया बच्चन अपनी स्वतंत्र पहचान छोड़ अमिताभ की बीवी बन अपने को एक ऐसे दल जो पूरी तरह के साथ एक वेईमान परिवार का रहा है । क्यों अपने यहाँ के कुछ शिक्षित लोग भी गांधी परिवार का समर्थन कर रहा है जिनमें सब तरह के दुर्गुण हैं। कबतक नेहरू और ग़लत ढंग से गांधी कहला यह परिवार देश के सहज साधारण बुद्धि के लोगों को बरगाला रहेगा।


देश के लोगों को एक उचित निर्णय लेना होगा, जब एक तरफ़ सुनहरा भविष्य दिखता हो, दूसरे तरफ़ पूरा अंधकार। खड़गे जो पूरी तरह से सोनिया गांधी के चमचे हैं, क्या प्रधान मंत्री बनने योग्य है। देश साम्यवादी विचारों के लोगी साजिश एक महान राष्ट्र इस अद्भुत प्रजातंत्र के कारण अपनी अपनी विराशत खो देगा?


कभी लगता है कि इसके पीछे विदेशी बडी शक्तियाँ और वहाँ के सोरोस के अरबपति लोगों और चीन की तरह धनी दुश्मन देशों का हाथ हैं। देश का दुर्भाग्य है कि नेहरू परिवार के प्रति लोग उनकी अपनी विदेश यात्राओं दिये व्यक्तव्यो को देखने सुनने के बाद उस परिवार को यहाँ रहने ही दे रहे हैं, पर उनको मनमानी करने की छूट है। कांग्रेस की अकूत सम्पत्तियों के मालिक हैं।क्या सब विरोधी पार्टियाँ देश के लिये बहरी, गूंगी, अंधी बन गईं और यही देश के असंख्य बुद्धिजीवियों का भी है।क्या हम ‘जननी, जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’, ‘ कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी’, ‘श्रेयान् स्वधर्मः विगुणः पर-धर्मात् स्वनुष्ठितात्’?

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