आज के प्रदेशों के चुनावों के नतीजे- एक विचार


भारत एक अजीब देश है शायद यह हरदम ही ऐसा ही था। इतिहास गवाह है। हवा ऊपर से नीचे नहीं बही, ऊपर से नीचे ही बहती रही। कांग्रेस, चाहे केरल हो, या कर्नाटक या तेलंगाना या तमिलनाडू- अगर वोट पाती है या जीतती है तो स्थानीय परिवारिक दलों के प्रदेश में वर्चस्व मिलने पर किये जानेवाले मनमानी हरकतों के कारण होती है। चन्द्रशेखर बेताज बादशाह होते जा रह थे और उनके उत्तराधिकारी उनके बेटे योग्य होते हुए भी नवीन पट्टनायक नहीं बन पाये दस सालों में। यही हाल पश्चिम बंगाल का भी है, वहाँ भी क्षेत्रीय भावना दृढ़ रही है और इसी कारण भाजपा कुछ थोडी उठी पर फिर नीचे आ गई। पर वहाँ बीजेपी असफल रही। भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को क्षेत्रीय शक्ति बननी होगी। वहाँ के अच्छे लोगों को पार्टी में शामिल करना होगा। उन्हें क्षेत्रानुसार रणनीति बदलनी होगी। हिन्दी प्रदेशों के नेताओं के बल पर बीजेपी सरकार पूरे देश का नेतृत्व नहीं कर सकती। सफल नहीं हो सकती। मुझसे बहुत विद्वान बीजेपी में होंगे और उन्हें इन प्रदेशों की रणनीति का कुछ आज की लीक से हटकर एक दम नया और कारगर रास्ता खोजना पडेगा। उन्हें एक इन रणनीतियों में पारंगत नेता खोजना होगा या तैयार करना पडेगा। अगर तेलंगाना की विजय को गांधी परिवार अपनी विजय मानती है तो यह बड़ी गलती होगी।जीत दिलाने वाला अखिल भारतीय छात्र परिषद से निकला और आज तेलंगाना मुख्य मंत्री बनेगा। दक्षिण के आज के कांग्रेस के प्रेसीडेंट खरगे और कर्नाटक के कुछ नेताओं का तेलंगाना के राजशेखर को हराने में मुख्य भूमिका रही है। राहुल गांधी या प्रियंका गांधी या उनकी माताजी का इसमें कोई बडा योगदान नहीं समझना चाहिये। दुर्भाग्य है अब कांग्रेस के पास नये नेता नहीं हैं २०२४ के चुनाव के लिये। इन्दिरा, राजीव गांधी जमाने के नेता या तो नहीं रहे या बहुत ही वृद्ध या बदनाम हो चुके हैं। कमलनाथ और गहलोत उन्हीं में है। देश के मजबूत विपक्षी पार्टी होनी चाहिये। पर भारत में ३०-४० पार्टियों का गठबंधन कभी ज़रूरी शक्तिशाली विपक्षी पार्टी नहीं बना सकता। अब देश हित बहुत सारी पार्टियाँ को विलय हो, दो या तीन राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियां पैदा होनी चाहिये।
जहाँ तक भाजपा का सवाल है, २०२४ के बाद मोदीजी अपने समान ही कुछ लोगों को उत्तराधिकारी बनने के लिये तैयार करने चाहिये। यह उनका राष्ट्रीय हित का दान होगा और तभी २०४७ का ‘अमृत उन्नत भारत’ बना सकेगा।

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