कुछ समस्याएं, कुछ विचार

उम्र के साथ स्वजनों के प्रति लगाव भी बढ़ता जा रहा है। उनका आना, रहना और बहुत सारी बातों की जानकारी पाना अच्छा लगता है। पर कुछ उनकी अपेक्षाएँ तकलीफ देती हैं और फिर कुछ नासमझियाँ मन को दुखाती हैं ।हम दो ही रहते है यहां ।सात लोगों की खातिरदारी करना तकलीफदेय है। अब अगर दस आदमी के लिये खाना किसी तरह तैयार करा भी लिया ज़ाय और फिर पता चले आखिरी समय कि  केवल दो ही आ रहे है कितना मानशिक कष्ट देता है। किसमें बांटा जाये यह खाना। गांव में तो दूसरे दिन मजदूरों को या पड़ोस में दिया जा सकता है । कब सीखेंगे लोग जब चालीस साल के तथाकथित पढ़ेलिखे नहीं समझते इस साधारण शिष्टाचार को। क्या गांव का होना इसका कारण है ।शायद नहीं । स्वाभाविकतः यमुना को तकलीफ ज़्यादा होती है ।पर कुछ हल भी नहीं है इसका। या तो अपने सीख जायेंगे ऐसे लोग या कोइ मुझसे ज़्यादा व्यावाहारिक व्यक्ति से पाला पडने पर सीखने के लिये बाध्य हो जायेंगे।
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सितम्बर २६ को अलोक एवं उनकी पत्नी को ले अट्ठा बाजार गया, उन्हे कुछ अपने लिये खरीददारी करनी थी। एक जगह खाली देख गाड़ी लगा अलोक को खरीददारी के लिये भेज दिया ।तीन चार गाड़ियां पहले से वहाँ खड़ी थीं । मैं थोड़ी दूर एक छायेधार जगह खड़ा हो गया, अचानक देखा पुलिस की गाड़ी मेरी गाड़ी में हुक लगा रही है, मैं दौड़ पह़ुचाँ।मैं जानना चाहा मेरी गाड़ी को हीं क्यों ? पर उन पर कोइ असर नहीं पड़ा, मुझे अलोक को सूचित कर घर आना पड़ा ।वे मुझसे पैसा चाहते थे और मैं देने को तैयार नहीं था ।
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अमरीका से वापस लौट एक अदभुत समस्या रोज़ सबेरे घूमने जाते वक्त मिलती है।सड़क पर जहां तहां पालतू कुत्तों का मल पड़ा रहता है और सेक्टर से लगे गांव के गायों, बछडों,और साढ़ों द्वारा किया गंदगी भी । पहली श्रेणी के पालतुओं के मालिक तो सभ्य समाज के हैं फिर वे यह बात क्यों नहीं समझते ? किस तरह नोयडा स्वक्ष और सुंदर बन पायेगा। शायद भारत को साफ रहने की आदत डालने में सदियाँ लगा जाये ।
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आजकल नोयडा में दिन में दो तीन बार बिजली काफी समय के लिये नहीं रहती। प्रातभ्रमण के मित्र इसका कारण नोयडा का मायावती का क्षेत्र होना बताते हैं । आजकल मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव गांधी परिवार के चुनावक्षेत्र रायबरेली और आमेथी के बिजली पर ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं । नोयडा ने पिछले चुनाव में न कांग्रेस को चुना, न समाजवादी पार्टी को ।अब बिजली तो तभी बराबर मिलेगी जब नोयडावाले अगले चुनाव में समाजवादी पार्टी को जितायेगें ।
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लगता है लोग राष्ट्रपिता गांधी को भूलते जा रहे हैं । आज गांधी कहने पर लोग इसे सोनिया या अधिक से अधिक राजीव, इन्दिरा, और राहुल से जोड़ते हैं । आज २ अक्टूबर है, सबेरे एक बंधु गांधी को आत्मपरक बतलाते रहे और मेरी एक नहीं सुने लाख कोशिश के बावजूद । जयराम रमेश निर्मल ग्राम की बात करते है । दुनिया में सबसे ज़्यादा भारत के लोग खुले में मल त्याग करते हैं। गावं की बात तो अलग है नोयडा के हर सेक्टर में कुछ ऐसे जगह दिखेगें जहां लोग खुले आम मलमुत्र त्यागते हैं । दिल्ली से लगे अन्य सहर, गुडगांव, फरीदाबाद, यहाँतक की दिल्ली के अधिकाँश नगरों में भी यही चीज दिखने को बहुतायात में मिला जायेगी । जयराम अगर पहले शहरों पर ध्यान देते तो अच्छा रहता, शायद सफलता भी दिखती । महात्मा के जन्मदिन को सफाइ दिवस के रूप में सारे देश में मनाना चाहिये ।

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