भारतीय मोटर गाड़ियों का बढ़ता निर्यात-एक गर्व का विषय
आई.आई.टी खड़गपुर में १९५७-६१ तक रहते समय ही मेरा गर्मी छुट्टी में जमशेदपुर के उस समय के TELCO और आज के टाटा मोटर्स नाम से पूरे देश में जानेवाले मैनुफैक्चरिंग सेक्टर के सबसे बड़े कारख़ाने से परिचय था, क्योंकि मैं अपने कुछ खड़गपुर के दोस्तों के साथ प्रशिक्षण लिया था। समय चक्र से मेकानिकल इंजीनियरिंग में स्नातक बन मैं कलकत्ता के पास के उत्तरपारा के नज़दीक के हिन्दमोटर से प्रसिद्ध हो गये जगह नें स्थित हिन्दुस्तान मोटर्स कम्पनी में विभिन्न पदों पर १९९७ तक काम किया। वहीं से मैं अमरीका, जर्मनी, इटली, इंग्लैंड, जापान, तैवान, मलेशिया, इंडोनेशिया आदि देशों में मोटर उद्योग और उसके लिये जरूरी मशीनों के निर्माण करनेवाली कारख़ानों को भी देखा।बार बार मुझे लगता था कि हम इतनी पीछे क्यों हैं उस उद्योग में और उस बात के साथ मैं अपने देश की पिछड़ेपन होने के उस समय की औद्योगीकरण और उनके मालिकों की दुर्बलता पर पर दुखी रहता था। चूँकि की देश के उद्योगों के बड़े बड़े लोगों और देश के मंत्रियों से भी मिलने का मौक़ा मिलता था, उन्हें अपने विचारों से अवगत कराता था, पर खुश से थे उस अवस्था पर भी, क्योंकि वे सभी तो समृद्ध होते जा रहे थे अच्छी गति से। फिर २००४-५ के बाद से धीरे धीरे चीन का दबदबा दिखने लगा मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र में । मैंने २००० में काम करना बन्द कर दिया, पर उद्योग क्षेत्र की सब ख़बरों में रूचि के कारण और उन विषयों पर पढ़ते लिखते रहने के चलते सभी तकनीकी जानकारी तो रखता हूँ अबतक जब कि मैं ज़िन्दगी रूपी इनिंग ख़त्म होने की ओर हूँ।
आज देश का चार पहियों की सब मोटर गाड़ियों के साथ अन्य मैनुफैक्चरिंग उद्योग की प्रगति ख़ुशी देती है। हम काफी मात्रा में भारत में उत्पादित वस्तुओं का, जिनमें मोटर गाड़ियों के उद्योग आगे है, काफ़ी संख्या में बहुत सारे उन्नत देशों में निर्यात कर रहें हैं। विशेषकर पिछले सालों में तो अद्भुत प्रगति हुई है, पर हमारे देश के नयी पीढ़ी को इस क्षेत्र में सिरमौर बनाने के एक नई मानसिकता के साथ सभी बाक़ी क्षेत्रों में बहुत सधे दिल और दिमाग से बिना किसी देशों पर आश्रित हुए बहुत काम करना बाक़ी है। मुझे विश्वास है हमारा जाति धर्म के आधार की राजनीति हमें नई पीढ़ी राष्ट्रीय प्रगति और उसके प्रगति के रास्ते रूकावट पैदा न करें। हमें विश्वस्तरीय सभी क्षेत्रों में शीर्ष पर पहुंचने की निष्ठा पूर्वक चेष्टा करनी चाहिये, क्योंकि विकसित भारत २०४७ का लक्ष्य एक सम्भव युद्ध है, पर राष्ट्रीय कर्तव्य युद्ध से कम कभी नहीं।
Two Latest News reports on Auto Industry of India
1.https://www.financialexpress.com/market/stock-insights/beyond-tesla-amp-tata-motors-3-hidden-tech-stocks-driving-indias-164-billion-ev-revolution/4021499/?ref=hometop_hp
2.https://www.business-standard.com/industry/auto/passenger-vehicle-exports-rise-18-in-apr-sep-maruti-suzuki-leads-siam-125102600121_1.html