चीनी दिवाली-कुछ प्रश्न


क्या जितनी चीन की चीज़ें दिवाली या अन्य त्योहारों या व्यक्तिगत आयोजन में आती हैं, उन्हें भारत सरकार की अनुमति से आती हैं और सरकार इसको ज़रूरी आयात समझती है? क्या इसके बिना यानी न होने पर हिन्दुस्तान के लोग को दूसरे देशवासी दिवाली का सम्मान नहीं देंगे? या ये जब चीन में भी नहीं बनते तो थो भारत में दिवाली या अन्य त्योहार नहीं आयोजित किये जाते थे? मैं जब आई.आई.टी, खड़गपुर में था, हमारे होस्टलों में बड़े पैमाने पर दीपोत्सव होता था तेल के दीप जला कर। कल अयोध्या में दीपोत्सव हुआ उनमें वैसे ही दीपों का व्यवहार हुआ। हमारी मानसिकता इतनी राष्ट्रीयता की बिरोधी क्यों होती जा रही थी।
शायद इस पीढ़ी को याद नहीं होगा कि स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री के प्रधान मंत्री काल अन्न के अभाव के कारण जबतक हम पैदावार नहीं बढ़ाते, हम हफ़्ते में एक दिन खाना नहीं खायेंगे का आवाहन।
या तो हिन्दुस्तान के वैज्ञानिक और मैनुफैक्चरिंग उद्योगों के मालिक और नये स्टार्ट अप इन सभी चीजों को ज़रूरत के हिसाब से अपने यहाँ बनायें या नहीं तो तबतक हम पुराने तरीक़े से दीप जला दिवाली मनायेंगे। मिट्टी या धातुओं के लक्ष्मी गणेश से पूजा कर लेंगे। अपने देश की राखी बाँधेंगे ।
शर्म आनी चाहिये देश के लोगों इस देश तरह देश को नीचा दिखाने की आदत से। ऑटोमोबाइल उद्योग आज परमानेंट मैगनेट के लिये हाय तोबा मचा रहे है, उद्योग बन्द होने का रोना रोते हैं, उन्हें चीन की वस्तुओं को देश में बनाने का कोशिश करना चाहिये था। क्यों चीन का हम पर १०० विलियन डालर भार हर साल बढ़ता जा रहा है। यह कितना सही है। हम क्या कर रहे हैं, हमारे उद्योंगों के विलियनअर मालिक अनुसंधान या नई टेक्नोलॉजी क्यों नहीं लाते। क्या सभी सरकार करेगी? हमारे सैंकड़ों रिसर्च संस्थानों के वैज्ञानिक क्या कर रहें हैं। क्या वैज्ञानिक विषयों पर लेख लिखकर उनका दायित्व ख़त्म हो जाता है? हम सभी अपने अपने दरबों में केवल अपनी कमाई और अपनी शोहरत के लिये काम में लगे हैं।
गलती लिखा गया हो तो शुद्ध कर लीजियेगा। मेरे दिल की भावनाओं की कद्र करिये अपने उन दोस्त मित्रों से इन विषयों के बातचीत करने का एक आन्दोलनात्मक कार्य करिये। शायद वह योग्य लोगों को जो देश के इस सम्बंध में कुछ कर सकते हैं उनके कानों तक पहुँच जाये? एक समूह देश की इस समस्या राष्ट्रीय स्तर उपाय निकाल ले। पूरी भगवद्गीता इसी त्याग और तपस्या के विषय पर आधारित है। यही देश के यज्ञ, दान और तप है सबका।
दिवाली की शुभकामना

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