क्या हिन्दमोटर्स के हेवी इंजीनियरिंग डिभिजन की याद है, इसके आख़िरी छोर पर एक स्टील फाउडंरी हुआ करता था। स्व. बृजमोहन बिरला के एकमात्र पोते श्री चन्द्रकांत बिरला के हाथ आई। वे पूरी ज़िन्दगी नाबालिग रहे। हिन्दुस्तान मोटर्स, हिन्द मोटर, उत्तरपारा और टाटा मोटर्स (TELCO), जमशेदपुर की भारतवर्ष की सबसे बड़ी कम्पनी १९९४_९५ तक रहीं। जब टाटा मोटर्स पूने में अपनी फैक्ट्री बनाने लगा तो बी. एम बिरला भी पीतमपुर, इंदौर में छोटी कार और होसुर, बड़ोदरा में जापान के सहयोग से ISUZU ट्रक हिन्दुस्तान मोटर्स के कारख़ाना बनाना चालू किये। मैं उस समय जेनेरल मैनेजर- कॉर्पोरेट था। वह मेरी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी थी। दोनों कारख़ानों में आनेवाले धन का भी बैंकों ने इंतज़ाम कर दिया। बाहर के सलाहकारों ने पूरे प्रोजेक्ट रिपोर्ट और उनके लिये मशीनों के चुनाव की बहुत प्रशंसा की। पर उसी समय बी.एम. बिरला का देहान्त हो और प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन का भार चन्द्रकान्त पर आ गया। पर कुछ समय के अन्तराल के बाद ही उनकी अक्षमता और मनसा सामने आ गई। वे बिरला के इस ग्रुप की सभी कम्पनियों को बन्द कर देना चाहते थे। एक के बाद एक बिकने लगी- पहले बड़ोदरा का प्लांट बिका पहले जेनेरल मोटर्स को, फिर मद्रास का कैटरपिलर प्लांट बिका अमरीकन को जिसके लिये हमारे एक दोस्त आर. के. डागा ने बहुत ही अच्छा काम कर विश्वस्तरीय बनाया था।
बाद में चन्द्रकान्त जी रिटायरमेन्ट प्लान लाये, धीरे धीरे सब ऊँचे पदवाले ५८ साल की उम्र होते ही रिटायर कर दिये। हिन्दमोटर का कार प्लान्ट बन्द हो गया। बाद में हेवी इंजीनियरिंग डिभीजन भी बिक गया जहाँ क्रेन और मैरियन Earthmoving Machines बनती थी। अब वहाँ पुरानी याद की तरह टीटागढ उद्योग ने हेवी इंजीनियरिंग में मेट्रो और वन्देभारत के कोचों को बनाने की बहुत ही अच्छा काम हो रहा है। आज एक विडियों देख यादें जाग गईं और मैंने यहां लिख दिया।
Vande Bharat trains and Metro Manufacturing Factory of Titagarh Rail Systems in Kolkata https://youtu.be/vsr1kjzLorc?si=NBvLEaABKJnZL5-7