पिछले युद्ध ने यह ज़रूर इस सत्य को आम कर दिया कि भारत का मुख्य विरोधी पक्ष और उसके कुछ शीर्ष नेता और समर्थक प्रजातंत्र के बोलने की आज़ादी का नाजायज भायदा उठा देश का अहित कर रहे हैं। देश का नेतृत्व संभालने की इतनी जल्दी क्यों है? जिन दलों के पास एक एक राज्य भी हैं वहाँ जनताहित कुछ अभूतपूर्व नई सोच का बदलाव ला देश के निचले वर्ग का प्रति व्यक्ति कमाई को कम से कम समय में एक सम्माननीय स्तर पर ले जाने का प्रयत्न और उपाय की तो सोचें और कारवन्यन कर तो दिखाये।
केन्द्र और राज्य सरकार सभी को यह मौक़ा बराबर है।देश की विशेषकर उत्तर भारत के प्रदेशों में- बिहार, बंगाल आदि में शिक्षा का स्तर क्यों नहीं अच्छा हो रहा है? क्यों नहीं गाँव गाँव अपने शत प्रतिशत लोगों को शिक्षित करने का मुहिम लें।लड़कों के विज्ञान के विषयों में महारत का नया प्रयोग किया जाये। शिक्षक योग्य हों। हर लड़का कुछ न कुछ हुनर सीखे या सद्भाव से व्यवसाय करने की मिहनत के साथ चेष्टा करे।
अगर एक किसान उतने ही खेत से लाखों कमा समृद्ध हो सकता है, तो बाक़ी क्यों नहीं कर सकते? कब तक लोग अपनी छोटी जाति का होने का फ़ायदा लेंगे और कितने सौ साल। जो बड़ी जाति के लड़के हैं वे भी तो ही पढ़ना लिखना छोड़ वैसे ही निठल्ले हो ठ्ठरा पी ज़िन्दगी ख़राब कर रहे हैं। मुखिया से ले सांसद मन्त्री सब उन्हें इसी स्थिति में रखना चाहते हैं।
योग्य नहीं बनना, हीन आचरण रखना, मिहनत से भागना, गलत से ग़लत तरीक़े से किसी तरह पेट भरने भर कमाई करना, दिनभर आवारागर्दी करना ओर तथाकथित नेताओं या बाहुबलियों के गलत कमाई में हाथ बँटाना।
किसी राजनीतिक दल ने क्या काम किया है इस दिशा में। सब केरल की तरह शिक्षित, तमिलनाडु की तरह के औद्योगीकरण आदि को आदर्श मान क्यों अपने कार्यकर्म बना सकते।
पाकिस्तान और बांग्लादेश की तरह की अवस्था क्यों लाना चाहते हैं लोग और नेता। क्या अब भी समझ नहीं आता कि हिन्दू प्रधान देश भारत को कोई मदद नहीं देगा, कोई इसका सच्चा दोस्त नहीं बनेगा।
गोरों में अभी भी अपनी चमड़ी के रंग का गुमान है, और अधिकांश इस्लामिक देश धर्मनिरपेक्ष बन ही नहीं सकते।
देश के सबसे बड़े धनी लोगों से सबसे छोटों तक को यह समझना होगा। क्या आज कोई महाराणा प्रताप का भामाशाह बन सकता है या सिराजुद्दौला का जगत सेठ।
क्यों नहीं, बिरला, और सैकड़ों ऐसे देश भावना से देश के लिये जरूरी उद्योग लगाते। क्यों आज चीन से आयात किये बिना उनका काम चल ही नहीं सकता? क्यों नहीं भारत चीन से श्रेष्ठ बन सकता? जब कि इतिहास कहता है भारत ही ज्ञान विज्ञान में सब देशों से उपर था। भारत आज भी वैसा ही है, पर भारतीय सबसे ज्यादा ख़ुदगर्ज़ हो गये हैं। बच्चों के लिये अकूत धन जमा करते है। और बच्चे मजे कर उस धन मौज मजा या विदेशों में जा बसने का प्रयास….पता नहीं क्या मिलता है और क्या खो देते हैं। नाम भी कोई नहीं याद रखता।