आजकल तीन किताबें पढ़ रहा हूँ।
पहली William Dalyrymple की पुस्तक The Golden Road- कैसे प्राचीन भारत दुनिया को बदल दिया था-प्राचीन भारत के ज्ञान – विशेषकर गणित और विज्ञान में और उनपर आधारित विभिन्न इन्जीनियरिंग क्षेत्र को।
दूसरी किताब एक अद्भुत व्यक्ति पर है जो देश के एक प्रदेश का लगातार तीन बार मुख्य मंत्री बन सबसे विकसित प्रदेशों की श्रेणी में ला दिया।और वही क्रम देश के स्तर ११+ साल से चल रहा है। यह एक अपने क्षेत्रों के बहुत से धुरंधर व्यक्तियों ने लिखा है।
तीसरी किताब विकसित भारत@२०४७ का रोडमैप है देश के एक मुख्य अर्थनीति सलाहकार द्वारा लिखी गई और देश विदेश में सराही जा रही है। (दूसरी पुस्तक हमें श्री शुक्लाजी के सौजन्य से पढ़ने को मिली, जब मैं अचानक उसको ख़रीदने की उनसे चर्चा कर रहा था।दूसरी दोनों को मैंने अमाजन से मंगाया।यह कविता कल अचानक निकल आई ….
विकसित भारत@२०४७
चारों तरफ़ जब आवाहन है
विकसित राष्ट्र बनाने की
जाति जाति की बातें करते
कब तक समय गवांओगे?
पढ़ो पढावो हूनर सिखाओ
सब कुछ हमें बनाना है
नहीं रहेंगे निर्भर पर पर
जग को यह दिखलाना है।
हम्हीं खिलायेंगे सब जग को
हम ही स्वस्थ बनायेंगे।
आपद विपदा में जग की
हम ही सदा तत्पर रहते।
नहीं किसी के झाँसे में आ
हम अब भविष्य गवायेंगे।
आगे आओ हाथ बढ़ाओ
साथ साथ मिल चलना है।
दूर खडी माँ हाथ उठाये
आश लिये ‘कब?’आँखों में
हमको गोद उठाने को..
आशीष पा रहे निकलो आगे
सब घर स्वर्ग बनाने को।
भारत माँ एक आश लिये है
जिसे समझना ही होगा-
’राम आ गये अब अपने घर ..
‘राम राज्य‘ लाना होगा।
विकसित भारत ध्येय देश का
जन जन तक जाना होगा।
और परिश्रम चरमसीमा तक
हम सबको करना होगा।