सभी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद जिसने देश के महिलाओं के लिये, जवानों के लिये, किसानों के लिये, जवानों के लिये मर मिटने की , ज़िन्दगी जीने की क़सम खाई है। हर भारतवासी यह सोचे कि उसके सपनों में चोरों द्वारा दरार लगाने पर भी उसके मन में भारत को दुनिया का सिरमौर बनाना सर्वोपरि हैं। वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिये मरने दम तक प्रयत्नशील रहने के प्रतिबद्ध है। कोई विपदा उसे हिला नहीं सकता, कमजोर नहीं कर सकती। देश के जिन लोगों ने धोखेबाज़ी की वे शर्म करें या न करें, देश उनको माफ़ नहीं करेगा, क्योंकि ऐसा कर उन्होंने देश को धोखा दिया है और चोरों का साथ दिया है कुछ व्यक्तिगत स्वार्थ या जाति का होने के कारण । वे अपने को बेंचें हैं कुछ रूपये या कुछ मनपसन्द चीजों के लिये। गीता के अध्याय १६वें केअनुसार वे ही असुर है। अगर पढ़ना आता हो तो देंखे। इन असुरों का राम नाश करेंगे भले ही कुछ समय लग लग जाये।
इन असुरों को समझना ही होगा कि जहां राम गिरी स्त्री को नया जीवन देते, भक्ति शबरी को अमरत्व देते, पच्छीराज जटायु को स्वर्ग देते हैं, केवट या निषादराज, या सभी कोल भील को गले लगाते हैं, बानर, भालू और राक्षस वंश के जीवों को भी अमर कर दिये, उन्हीं के भक्त के साथ जो धोखेबाज़ी करता है उसको भी वे नहीं छोडते।
हमारे हिन्दू धर्म की तरह कोई दूसरा धर्म हो ही नहीं सकता- ‘समं सर्वेषु भुतेषु तिष्ठन्तंपरमेश्वरम् ( १३.१७) – सब चराचर भूतों (प्राणियों) में परमेश्वर समभाव से रहते हैं और हमें सबमें सम रूप से देखने का आदेश भी देते है। फिर जाति कैसी?
और फिर अध्याय ६ में
आत्मौपम्येन सर्वत्र समं पश्यति योऽर्जुन ।
सुखं वा यदि वा दुःखं स योगी परमो मतः ॥६.३२॥ सब लोगों को सभी व्यक्ति के दु:ख सुख में सहर्ष सहायता या उल्लास मनाने ही हमारा धर्म है।
हम क्यों लज्जित हो जो बिके देश विरोधी काम किये उन्हें चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिये या समाज में मुँह नहीं दिखाना चाहिये।