चुनाव २०२४ – कुछ विचार

चन्द्रबाबु नायडू ने वायदा किया है कि वे २०४७तक आंन्ध्रप्रदेश के लोगों को दुनिया का सर्व्वोच स्थान दिला देंगे और अपने प्रदेश को भारत के प्रदेशों में प्रथम स्थान पर पहुँचा देंगे।और उनके पिछले दौर के मुख्य मंत्री काल के उपलब्धियों का इतिहास हमें उनकी बात पर भरोसा करने का विश्वास दिलाता है। इस विषय पर मोदीजी साथ देंगे उनका, क्योंकि वे सब प्रदेशों को ही उन्नत बनाना चाहते हैं। मोदी और नायडू मिल आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों को दुनिया के सबसे बड़े मैनुफ़ैक्चरिंग केन्द्र में परिणत कर देंगे जैसे चीन का जियांग्सू , गुआंग्डोंग , शेडोंग , शंघाई और झेजियांग प्रांतों के तटीय क्षेत्र हैं ।मोदी यह भी कोशिश करेंगे के ओड़िसा के तटीय क्षेत्रों में भी वैसी ही प्रगति हो। सभी तरह के बड़े और छोटे कारख़ानों को लगाया और निर्यात किया जा सकता है वहाँ के बन्दरगाहों से। औद्योगीकरण से आंध्र प्रदेश तमिलनाडु को पछाड़ सकता है। बिशाखापट्टनम के बन्दरगाह के भीतर इलाक़ों में औद्योगिक क्षेत्र बना और अमरावती में एक नया ए. आई. आदि के अनुसंधान केन्द्र और उद्योग बना आँध्र बहुत आगे आ सकता है। साथ ही मुझे मालूम है अपने पुराने सम्पर्कों सें कि आंध्र का कृषि क्षेत्र भी बहुत पैदावार और बडा भी है।

पर मोदी के दूसरे महत्वाकांक्षी सहयोगी बिहार के मुख्य मंत्री नीतिश जी क्या बदलेंगे? मोदी ने तो पहले बार दिल्ली की गद्दी सँभालते ही बिहार में दो रेलवे उद्योग के विश्वस्तरीय कारख़ाने लगवाया और सिद्ध कर दिया समुद्र तट का न होना पिछड़ेपन का कारण नहीं बन सकता। बिहार बहुत उद्योगिक केन्द्र अभी भी हैं जहां के पुराने कारख़ानों को किसी योग्य व्यक्ति के नेतृत्व में चालू करा बिहार के विकाश को गति दी जा सकती है।बिहार एथानल का सबसे बडा उत्पादन केन्द्र बन सकता है पूर्वांचल के गन्ना, मक्के, बाजरे की खेती करके और पूराने, नये चीनी मिलों कोअच्छे कर्मठ औद्योगिक मालिकों से चलवाकर। बिहार फ़ूड प्रोसेसिंग का भी देश का सबसे बड़ा क्षेत्र हो सकता है और निर्यातक भी, क्योंकि धान, गेहूं और गन्ने के अलावा बिहार साफ़ पानी की मछलियों, आलू और अन्य सब्ज़ियों का देश का सबसे बड़ा उत्पादन करने वाला प्रदेश बन सकता है। गंगा के कारण बिहार की मिट्टी इसके अनुकूल है और पानी की कमी भी नहीं हो सकती। साथ ही ब्रिटिश काल में ही नहरों का जाल बिछ गया था इस प्रदेश में। दूसरे दो संभावित उद्योग चमड़े और दूध का हो सकता है। एक रोचक खबर पिछले सुना और आज उसका विडियो भी उपलब्ध है- https://youtu.be/_juYRUvorZ0?si=BFzR19uV_2AYRpCg
प्रदेश को सोने की चिड़िया बनने की भगवानदत्त असीम संभावना है । पर प्रदेश की सबसे बड़ी कमजोरी वहाँ के लोगों का समय के साथ बिगड़ा आचरण और स्वभाव हो गया है जिसे पिछले चालिस पचास दसकों से बढ़ावा मिला है। बिहार आज देश का हर तरह से सबसे पिछड़ा प्रदेश बन गया है। वहाँ के राजनीतिक लोगों को शर्म भी नहीं आती चन्द्रगुप्त मौर्य, अशोक, चाणक्य, आर्यभट्ट या नालन्दा का नाम लेने में जिनके वे वारिस हैं। हर व्यक्ति वहाँ जाति की बात करता है और अपनी जाति को छोड़ सब जातियों को नीचा दिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता। इसे बदलना होगा समाज के अगुवाओं को या नई पीढ़ी को।
नीतिश जी अगर कम से कम शिक्षा के लिये स्कूलों, कालेजों, और इंजीनियरिंग, मेडिकल के शिक्षा का प्रबंधन तो सुधार देते, तो यह जो उनका अमर बनने का आख़िरी मौक़ा है, सफल मुख्य मंत्री या नायक कहलाते। और अब यह एक भूल भी उनको बिहार के इतिहास का सबसे मतलबी नालायक बना देगी।

बिहार और आंध्र दोनों को चाहिये कि सभी राष्ट्रीय एक्सप्रेस वे पर कुछ प्राइवेट क्षेत्र के बड़ी और अच्छी कम्पनियों द्वारा सब सुबिधा एवं साधन सम्पन्न स्मार्ट नगर बसाये जो गाँवों के सम्पन्न लोगों को वहाँ बसने को प्रेरित करे और पुराने शहरों का पुन: निर्माण या बदलाव करने का मौक़ा दे।

दोनों ही राज्यों के मुख्य मंत्रियों को सभी उद्योगों को सरकारी या ग़ैरसरकारी तकनीकी शिक्षा संस्थानों से ९वी दसवी कक्षा के और उसके ऊपर के उत्सुक क्षात्रों को उद्योगों में कम से कम एक या दो सप्ताह की ट्रेनिंग करवाने की व्यवस्था करनी चाहिये, जिससे बच्चों की रूचि का पता चले या बदले। पाठक्रम में औद्योगिक और विज्ञान के बड़े व्यक्ति सरल जीवनी पढ़ने की ब्यवस्था करे, राजनीतिक नेताओं के बारे में बता तो कुछ भी फ़ायदा नहीं। मैंने अपने ८५ साल में बंगाल और बिहार को पिछड़ते हुए देखा और अपने बाक़ी जीवन में गलती का अहसास कर बदलते हुए, आगे बढ़ते हुए देखना चाहता हूँ । भगवान लोगों को सद्बुद्धि दें।

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