विजयदसमी और राम

हे राम कहाँ हो बैठे, आओ तुम फिर तो आओ
तुलसी बाबा हैं कहते
अवतरण तुम्हारा कारण
था अत्याचारी रावण.
फिर आज नहीं क्यों आते
रावण जब हर कोने में
अपहरण देश का करते.
और भाग बिभीषण जाते
हैं दूर देश में रहने
क्योंकि तुम यहाँ नहीं हो.
आना हो तो अब आओ
कुछ करतब तो दिखलाओ
बहुसंख्यक लोग खड़े हैं
कुछ आश लगाए भी हैं
तुम उन्हें सहारा देने
अपनी सेना में लेने
का कारण बन आ जाओ.. हे राम अब तो आ जाओ ..
पर अमित रूपधर आओ
और सब को सीख सिखाओ
तुलसी बाबा से जाना
रावण को मोक्ष दिए थे
पर मेरी यह मनसा है
न उसे मोक्ष मिल पाया
इसलिए तो फिर वह आया
और बहूत रूप में आया
इसलिए अमित हो आओ
इस बार करो जब बध तो
असली ही मोक्ष तुम देना
जिससे वह न फिर आये. हे राम तो अब आ जाओ
कमजोर देश के बन्दे
पुतले तीन जला कर
और नाम तुम्हारा लेते
सोचे रावण को जीते,
हे राम, रमापति आओ
हर मन के रावण मारो
उस मन में राम जगाओ, और अपना देश बचाओ
हे राम, तो अब आ जाओ

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