२०१९-२०२०:भगवद्गीता से उपनिषदों की ओर
पिछले साल में अपने को गीता के विभिन्न व्याख्या पुस्तकों में अधिकांश समय लगाया था। २०२० में विशेषकर कोविद काल की त्रासदी को भोगते कब उपनिषदों की तरफ़ झुकाव हुआ और फिर बढ़ता गया पता ही नहीं चला, पर अच्छा रहा है और अभी चल रहा है।
पहले कठोपनिषद् को चिन्मयानन्द की व्याख्या सहित पढ़ा, समझने की कोशिश की, पर असमर्थ हूँ जान पड़ा। बहुत वर्षों से सहेज कर रखी गीता प्रेस के कल्याण के विशेष उपनिषद् अंक से बात कुछ समझ आई। शंकराचार्य द्वारा सभी भाष्य उपनिषदों को, जिन्हें प्रमुख उपनिषद् कहा जाता है, पढ़ गया नियमित रूप से थोड़ा थोड़ा समझते हुए। फिर राकेश जी एकनाथ एश्वरन की अंग्रेज़ी की पुस्तक Upanishads को पी.डी.एफ द्वारा मेल कर दिये। पुस्तक अमरीकन अंग्रेज़ी में काव्य रूप में बहुत सरल भाव से लिखा गया है। उपनिषदों को प्रस्तुत करने के पहले की ‘उपनिषद्’ पर भूमिका बहुत अच्छी है और फिर हर उपनिषदों के पहले उन पर भी उनके मुख्य विषय पर लेख है। बड़े उपनिषदों, जैसे बृहदारण्यकोपनिषद के कुछ विशेष अंश ही दिये है। पर अधिकांश का पूरा काव्यमय अनुवाद बहुत अच्छा एवं सरल है समझने लायक़। अब तो किताब भी है मेरे पास बहुत बार के आमेजन से पर्यास के बाद। फिर अचानक यू-ट्यूब पर वेदान्त सोसाइटी के स्वामी सर्वप्रियानन्द के प्रवचन दिख गये गये और उनके हर प्रवचन बहुत प्रभावशाली लगता रहा, पढ़ने की रुचि को बढ़ाता गया। लोग उन्हें विवेकानन्द की तरह अमरीका में लोकप्रिय मानते हैं। अमरीका के सभी आध्यात्मिक विषयों के गुरुओं में वे प्रतिष्ठित हैं। एक दिन अचानक ‘Hindu Wisdom’ के साइट पर एक रामकृष्ण मिशन के स्वामी निर्विकारानन्द की तीन उपनिषदों-ईशोपनिषद्, कठोपनिषद् एवं केनोपनिषद् पर अति सुन्दर रूप से व्याख्यायित पुस्तकें दिख गई। इन तीनों को मैं बार बार पढ़ता रहा। अब थोड़ी समझ बढ़ रही थी उपनिषदों के अन्त:निहित आध्यात्मिक अद्वैत दर्शन का और फिर रामकृष्ण परमहंस_ विवेकानन्द की कथाएँ एवं कथनों के अंश उन्हें बहुत सुगम बनाते गये। दुर्भाग्यवश ये सब किताबें अंग्रेज़ी में ही हैं। फिर एक इससे भी दो सुगम पुस्तकों से परिचय हुआ, मंगाया, लेखक हैं श्री. M। अंग्रेज़ी में सभी लोकप्रिय उपनिषदों-ईश,कठ, केन, मुंडक, माडूक्य,प्रश्न-की व्याख्या उनकी दोनों पुस्तकें में सबसे सरल एवं सुगम लगी जो हर व्यक्ति समझ सकता है। गीता प्रेस को छोड़ मुझे अन्य किसी की हिन्दी में उपनिषदों के श्लोकों को देते हुए व्याख्या की कोई सरल रूप में प्रस्तुत पुस्तक नहीं मिली है अब तक। अगर कोई पाठक जानते हों तो मुझे ज़रूर सूचित करें, आभारी हूँगा।
उपनिषदों के अलावा मैं दो और मन की पसन्द पुस्तकों को मंगाया बहुत प्रसिद्ध व्यक्तियों का लिखा। पहली पुस्तक थी श्री पवन कुमार वर्मा की ‘आदि शंकराचार्य’ के बाद की लिखी ,’The Greatest Ode to Lord Rama’ जो तुलसीदास के रामचरितमानस के कुछ उनके पसन्द अंशों पर उनके विचारों के साथ है।पवन कुमार वर्मा श्री नीतीश कुमार के साथ राजनीति में लग गये थे पर काफ़ी बड़े विचारक है और उसकी प्रशंसा तो की जानी ही चाहिये। दूसरी पुस्तक मारुति सुज़ुकी के चेयरमैन श्री R. C. Bhargava की अपने वर्षों के उद्योग के साथ जुड़े अनुभव के आधार पर ‘ Getting Competitive- A practitioner’s Guide for India’.मेरी धारणा के विरूद्ध यह किताब एक आई.ए.एस. की ज़्यादा और एक एक प्राविधिक या बल्कि सामान्य प्रबंधन के अनुभव पर आधारित है और जिसमें केवल सरकारी तंत्रों के कमियों की बात ज़्यादा है। मारुति सुजुकी के जापानी चेयरमैन ओ.सुज़ुकी ने भारत में पैसेंजर ऑटोमोबाइल के मैनुफ़ैक्चरिंग में बड़ा योगदान दिया बहुत सारे ऑटो पार्टों के भारतीय उद्योग को बढ़ावा देने के लिये। बहुत फ़ैक्टरियों को प्रारम्भ करने एवं उनमें जापानी मैनेजेमेंट पद्धतियों का व्यवहार कर सफल बनाने में उनका बहुत बड़ा हाथ था। श्री. भार्गव से मैं आशा करता था कि वे भारतीय मैनुफ़ैक्चरिंग सेक्टर को विस्तारित करने, आयात को ख़त्म करने, निर्यात बढ़ाने आदि विषयों में एक रोडमैप सुझाते ऑटोमोबाइल एवं मैनुफ़ैक्चरिंग सेक्टर के लिये।
ख़ैर,आजकल स्वामी शिवानन्द की बृहदारण्यक उपनिषद् की व्याख्या पढ़ रहा हूँ और तीसरे अध्याय तक पहुँचा हूँ। याज्ञवल्क्य ऋषि के प्राचीन वैदिक युग के अपने समय के सबसे बड़े ज्ञानी ऋषि थे इस उपनिषद् में ब्राह्मण को समझाना मुख्य विषय है।इसी में उनकी विदुषी पत्नी मैत्रेयी एवं गार्गी का विवरण है।
पिछले साल के मेरे वायदा के तीनों संग्रहों पर काफ़ी काम किया हूँ पिछले साल, पर संतोष नहीं है और उस पर और काम बाक़ी है…चल रहा है धीरे धीरे, जो अपने अमरीका एवं यहाँ के इष्ट मित्रों के लिये है अत: अंग्रेज़ी एवं हिन्दी दोनों भाषाओं को जाननेवाले लोगों के लिये है। अमरीका के हिन्दी भाषी लोगों के अधिकांश बच्चे हिन्दी शायद ही जाने, इसीलिये यह प्रयास है। देखें क्या कर पाता हूँ नये साल में।