हमारे यहाँ राजनेता हिन्दू धर्म को मनुवादी बताते हुये दलितों को धार्मिक ज्ञान से दूर रहने की सलाह देते हैं. आज सबेरे के स्वाध्याय में निम्न श्लोक पढ़ा,जो मनु के अनुसार चारों वर्णों- ब्राह्मण, क्षत्रिय,वैश्य, शूद्र- का धर्म कहा गया है. ये सभी गुण सभी हिन्दू का स्वधर्म होना चाहिये. हम यहाँ राजनीति क्यों करते हैं? हम हर बच्चे के विकाश काल में घर, स्कूल एवं समाज में उसे यह प्राथमिकता से क्यों नही बताते?सभी हिन्दू इस श्लोक को मूलमंत्र क्यों नहीं बनाते? समाज के अज्ञानी तथाकथित पंडितों के कहने पर हम हर व्यवहार में ऊँच,नीच की भावना ज़ाहिर करते रहते हैं. राजनीतिज्ञ हिन्दू समाज को जिस तरह से तोड़ रहे हैं, जल्द ही न हिन्दू रहेंगे, न देश.
अहिंसा,सत्यम्,अस्तेयम्, शौचम्, इन्द्रिय-निग्रह: ।
एत सामासिकं धर्मम् चातुर्वण्येडबर्वीन् मनु:।।
हिंसा न करना, सत् बोलना, चोरी न करना, पवित्रता का पालन करना, इन्द्रियों पर क़ाबू रखना;- मनु ने चारों वर्णों के लिये थोड़े में यह धर्म कहा है।
इस श्लोक को जीवन में व्यवहार कर हम अपने ,अपने समाज एवं देश को सुखी और सम्पन्न बना सकते हैं. सोचिये…समझिये…..जीवन में उतारिये…
II
आज सबेरे घूमने के लिये घर से निकलते ही अपने ही तल्ले के श्री चटर्जी से भेंट हो गई. उनकी पत्नी को आँख की बड़ी तकलीफ़ है, दिल्ली के जाने माने चक्षु विशेषज्ञ डा. सर्राफ़ की चिकित्सा कर रहे हैं, उम्मीद है. मैंने ढाढ़स दिया और भगवान पर भरोसा रखने को कहा. मैं तो केवल भगवान से प्रार्थना ही कर सकता हूं.और अगर हर जीव में वही अात्मा जो सर्वोपरि है, बिराजमान है तो एक दूसरे के लिये किये प्रार्थना का प्रभाव ज़रूर पड़ना चाहिये. हम इन दो प्राचीन एवं प्रसिद्ध श्लोकों को अपनी प्रात: प्रार्थना में शामिल कर रखे हैं, आप भी शामिल कर सकते हैं-
१
ना त्वहम् कामये राज्यम्
ना स्वर्ग ना पुनर्भवम् !!!
कामये दुख तप्तानाम्
प्राणिनाम् अार्ति-नाशनम् !!!
अपने लिये न मैं राज्य चाहता हूँ,न स्वर्ग की इच्छा करता हूँ ।मोक्ष भी मैं नहीं चाहता।मैं तो यही चाहता हूँ कि दु:ख से तपे हुये प्राणियों की पीड़ा का नाश हो।
२
स्वस्ति प्रजाभ्यः परिपालयन्तां न्याय्येन मार्गेण महीं महीशाः।
गोब्राह्मणेभ्यः शुभमस्तु नित्यं लोकाः समस्ताः सुखिनो भवन्तु ।।
प्रजा का कल्याण हो, राज्यकर्त्ता लोग न्याय के मार्ग से पृथ्वी का पालन करें, खेती और ज्ञान-प्रसार के लिये गाय और ब्राह्मणों का सदा भला हो और सब लोग सुखी बने।