नयी जगह, नया गीत

नयी जगह नया गीत

एक और रात गयी
डरने की बात गई
नया प्रात
नयी बात
नयी आश
पाइन और मैपल के
पत्तों के ठोरों पर
लटके ये ओसकण
मोती से ।
रास्ते पर कंही कंही
बृक्षों के पुष्प गुच्छों से
झरते गुलाबी, सफेद
छोटे छोटे हजारों फ़ुल ।

कंही कंही
कभी कभी
स्कूली बच्चों
का मजमा
खिलाता मन ।
साफ धूप
है अनूप
सुंदर सजे
गली शहर
चारो तरफ ।

और बरामदे के बाहर
वह छोटी
सुन्‍दर गौरया सी
पानी पीती चिड़िया
आकर्षक, अनदेखी, रंगीन ।
फिर वे दो उछलते
सामने के जंगल से आते
खरगोस और उनका
टमाटर प्रेम ।
और पड़ोसी के पच्छी
पूरा घर चिड़िया खाना
चारो तरफ बिखरीं
कबिताएं हैं
और मेरी बटोरते रहने की
इमानदार कोशिश ।

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